
द पंजाब रिपोर्ट जालंधर :- प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार के कुशल मार्गदर्शन में वनस्पति विज्ञान विभाग के सहयोग से आईक्यूएसी द्वारा गैर- शिक्षण कर्मचारियों के लिए ‘ग्रीन कैंपस’ पर प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया था। इस पहल का मुख्य उद्देश्य कॉलेज में पर्यावरण जागरूकता और हरित प्रथाओं के बारे में जानकारी देना था। कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. कोमल अरोड़ा (एचओडी, वनस्पति विज्ञान) ने बागवानी और स्वच्छता विभाग के गैर-शिक्षण कर्मचारियों का स्वागत किया। उन्होंने कार्यक्रम का परिचय देते हुए पर्यावरण और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए हरित प्रथाओं के महत्व को समझाया।
कार्यक्रम सह-समन्वयक डॉ. सपना शर्मा ने वर्मीकम्पोस्टिंग की प्रक्रिया, विभिन्न प्रकार के गड्ढों, केंचुओं की प्रजातियों, सब्सट्रेट्स, सावधानियों और वर्मीकंपोस्टिंग के उपयोग पर चर्चा की। उन्होंने प्रतिभागियों से मिट्टी में पोषक तत्वों की स्थिति में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का आग्रह किया। केंचुए जैविक कचरे को पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी में बदल देते हैं जो धीमी गति से निकलने वाली जैविक खाद के रूप में काम करती है। यह उर्वरक के रूप में उपयोग करने का एक बेहतरीन टिकाऊ विकल्प है और स्थानीय खेती में टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने का एक तरीका है। उन्होंने मिट्टी और मानव स्वास्थ्य पर रासायनिक उर्वरकों के हानिकारक प्रभावों पर भी चर्चा की। सभी प्रतिभागियों को वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए रसोई के कचरे और बागवानी के कचरे का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान कॉलेज की वर्मीकम्पोस्टिंग इकाई का दौरा किया गया और व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्र जारी रहा। डॉ. नवजीत शर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर, भौतिकी विभाग) ने कॉलेज में हरित प्रथाओं को लागू करने में सहायक कर्मचारियों की भागीदारी की सराहना की ।
वनस्पति विज्ञान विभाग के संकाय सदस्य डॉ. लवलीन, डॉ. शिवानी वर्मा और गैर-शिक्षण कर्मचारी श्री सुशील कुमार, श्रीमती स्नेह गोयल एवं श्रीमती नीतू भी उपस्थित थे। डॉ. सपना शर्मा ने मार्गदर्शन के लिए डॉ. दिनेश अरोड़ा (आईक्यूएसी समन्वयक), तकनीकी सहायता के लिए डॉ. निश्चय बहल (एचओडी, कंप्यूटर साइंस) और कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रतिभागियों आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।